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Showing posts from 2019

इतना भी बेवकूफ मत समझिए!

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-मोहित भारद्वाज- देश के एक राष्ट्रीय अखबार 'द टेलीग्राफ' ने आज की अपनी प्रथम मुख्य खबर में पीएम को झूठा करार दिया है। एनआरसी पर देश में उठे तूफान के बीच 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि एनआरसी के बारे में उनकी सरकार ने चर्चा तक नहीं की, जबकि अमित शाह ने लोकसभा और राज्यसभा में स्पष्ट किया था कि एनआरसी लागू होकर रहेगा। ऐसे में गत दिवस प्रधानमंत्री द्वारा यह कहना कि उनकी सरकार ने तो एनआरसी पर चर्चा तक नहीं की सीधे-सीधे जनता को बेवकूफ बनाने वाली बात ही है। अब देश की जनता किसके बयान पर भरोसा करे पीएम की या गृहमंत्री की। प्रधानमंत्री पर सार्वजनिक कार्यक्रमों में झूठे आंकड़ें पेश करने, झूठ बोलने के आरोप तो कई बार लगे हैं और विपक्षी पार्टियों के नेता अक्सर कहते रहते हैं कि नरेन्द्र मोदी ने इतना झूठ बोला है जिससे प्रधानमंत्री पद की गरिमा ही धूमिल हो गई है। ऐसे में जब सीएए और एनआरसी मुद्दे पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जनता के सामने आकर अपनी सरकार का स्पष्ट नजरिया रखने और लोगों की आशंकाओं का जवाब देने की बजाय प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अलग-अलग बयान दे

आपको हिंदू राष्ट्र चाहिए या धर्म निरपेक्ष राष्ट्र?

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-मोहित भारद्वाज- नागरिकता बिल और एनआरसी का पूरे देश में विरोध तेज होता जा रहा है। दिल्ली के जामिया नगर से उठी विरोध की चिंगारी पूरे देश मेें फैलती जा रही है और देश दो विचारधाराओं के बीच बंटता हुआ नजर आ रहा है। घटते जा रहे रोजगार, शिक्षा प्रणाली तथा बदहाल अर्थव्यवस्था पर जोर देने की बजाय केन्द्र सरकार अपने एजेंडे को लागू करने के प्रति पूरी तरह से गंभीर नजर आ रही है, भले ही देश में उनकी नीतियों के विरोध में बड़े पैमाने पर विरोध ही क्यों न हो रहा हो। देश में बहस छिड़ गई है कि क्या मोदी सरकार भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की तरफ ले जा रही है। भाजपा के दूसरे कार्यकाल में जिस प्रकार से गृह मंत्री अमित शाह फैसले ले रहे हैं, उससे देश के अल्पसंख्यक समुदाय में एक तरह का डर पैदा हो गया है। सरकार और गृह मंत्री दावा कर रहे हैं कि समान नागरिकता बिल से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, लेकिन यह बिल असल में एनआरसी को लागू करने के लिए एक तरह से हथियार होगा, जिसे गैर हिंदुओं के हितों पर सीधे-सीधे तौर पर देखा जा रहा है। सरकार कह रही है कि 1947 में देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था, जो कि नहीं

क्या यह लोकतांत्रिक देश की निशानी है?

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-मोहित भारद्वाज- जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने नोटबंदी, जीएसटी जैसे प्रावधानों को तमाम विरोधों, शंकाओं, अर्थशात्रियों की सलाह को ठुकराकर लागू किया था, उसी प्रकार से समान नागरिकता और एनआरसी जैसे बिलों को जबरदस्ती देश पर थोप दिया गया है, जिसका चहुं ओर विरोध हो रहा है। भले ही नोटबंदी, जीएसटी जैसे प्रावधानों ने इस देश की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया हो, लेकिन केन्द्र सरकार अपने अडिय़ल रवैए पर चलते हुए तानाशाही नीतियां थोप रही हैं। उनकी नीतियों का विरोध करने वाले लोगों को देशद्रोही, उग्रवादी, नक्सलवादी, राष्ट्रविरोधी करार दिया जा है, जिससे देश में अशांति, डर का माहौल पैदा हो रहा है। रविवार को नई दिल्ली के जामिया नगर में हुई हिंसा और पुलिस बर्बरता पर बहुत सारी बातें हो रही हैं। मीडिया का एक वर्ग प्रदर्शन करने वाले छात्रों को उग्रवादी, हिंसावादी बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा, लेकिन जिस प्रकार से दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालयों के अंदर घुसकर, होस्टलों के अंदर जाकर आंसू गैस, लाठीचार्ज से छात्रों को पीटा है, उससे पूरे देश के छात्र वर्ग में उबाल आ गया है। समान नागरिकता कानून के विरोध

7 सालों के बाद भी बार-बार सामने आ रही निर्भया

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˜मोहित भारद्वाज आज से ठीक सात साल पहले देश में एक ऐसी विभत्स घटना घटी थी, जिसके बारे में न तो कभी सुना था, न देखा था कि ऐसा भी हो सकता है और वो भी 21वीं सदी के भारत में। 2012 में आज ही की रात दिल्ली की सड़कों पर निर्भया के साथ दरिदंगी हुई थी। इन 7 सालों के बाद न तो उनके परिजनों को आज तक पूरा इंसाफ मिला और न ही निर्भय को न्याय, बल्कि 7 सालों में निर्भय को इंसाफ दिलाने के लिए उनके परिजनों के जारी संघर्ष ने उनके जीवन को एक तरह से नर्क बना दिया है। जब यह घटना हुई तो ऐसी दरिंदगी देखकर पूरा देश उबल गया था। लोग सड़कों पर थे और उम्मीद थी कि यह इतिहास की पहली और आखरी घटना है, मगर अफसोस की हर दिन हमारे सामने निर्भया जैसे केस सामने आ रहे हैं। हमारे देश में हर 15 निमट में एक बलात्कार हो रहा है। बलात्कार के 1 लाख 27 हजार केस हमारी अदालतों में लंबित पड़े हैं। कठुआ, उन्नाव, शाहजहांपुर और हाल ही में हैदराबाद की वैटनरी डॉक्टर के साथ हुई निर्भया जैसी ही दरिंदगी नैतिक रूप से खत्म होते जा रहे हमारे की एक तस्वीर पेश कर रही है। आज पूरी दुनिया में भारत को रेप कंट्री के रूप में प्रसिद्धि मिल रही है। महिल

संघर्ष के सहारे मैं पहुंचूंगा एक दिन उस पार

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संघर्ष के सहारे मैं पहुंचूंगा एक दिन उस पार, मेहनत, अनुशासन की ताकत से पाउंगा अपनी कमियों से पार। भले कितने ही कंटीले हो रास्ते, मंजिल के पहुंचूंगा जरूर उस पार, गलतियों ने सिखाया है मुझे, बनाना व्यक्तित्व को असरदार। किस्मत का पहिया घूमेगा जरूर करवाने मुझे दुनिया की सैर। रचनाकार : मोहित भारद्वाज

जन्मदिन पर राजकपूर की यादें

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उन्हें कलाकार कहें, निर्माता कहें, कहानीकार कहें, निर्देशक कहें या फिर कहें राजकपूर। एक महान फिल्मकार को आज उनके जन्मदिन के अवसर पर पूरा देश याद कर रहा है। राज कपूर अपने आप में एक संस्थान थे, जिससे शिक्षा लेकर अनेक लोगों ने फिल्म इंडस्ट्री में अपना कैरियर बनाया। यह राजकपूर के पिता की महान विरासत ही है कि पृथ्वी राज कपूर से लेकर और रणबीर कपूर तक हर दौर में कपूर खानदान ने महान कलाकार दिए, जिन्होंने अपने विलक्षण अभिनय से लोगों का दिल जीता। रणबीर कपूर के पिता ऋषि कपूर जो हाल ही में कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से जूझकर फिर से अभिनय की दुनिया में व्यस्त हो गए हैं। कपूर खानदान में महान और विलक्षण अभिनेता तो हर दौर में हुए और आज भी रणबीर कपूर के रूप में कपूर खानदान की वो महान अदाकारी कायम जो पुराने दौर में याद आती थी, मगर राज कपूर ने न केवल अभिनय बल्कि निर्देशक के तौर पर ऐसी-ऐसी महान फिल्में रची जिनसे कई-कई बार देखने के बाद भी मन नहीं भरता। बॉलीवुड इतिहास के सही मायने में अगर कोई शो मैन थे तो राजकपूर, जिन्होंने हमारे समाज की कुरीतियों को अपनी फिल्मों में उठाया और सामाजिक दिशा में उनकी फिल्मों

देश को ले डूबेगी यह कट्टरवादी विचारधारा

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बहुमत के नशे में चूर होकर भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस अपनी कट्टर विचारधारा को देश पर थोपने में लगे हुए हैं और धीरे-धीरे ऐसे कानूनों को अमलीजामा पहनाने में लगे हैं, जिससे भारत की छवि दुनिया के सामने ठीक वैसी ही बनती जा रही है जिस प्रकार से कट्टरपंथी पाकिस्तान की। समान नागरिकता विधेयक देश के लिए जरूरी है का जो ढोल भाजपा पीट रही है असल में उसके पीछे आरएसएस की अपनी सोच ही है, जिसमें इस विधेयक में भाजपा ने अपनी सहुलिय अनुसार बदलाव करके भारत को कट्टर हिंदुत्ववादी विचारधारा में झोंकने के प्रावधान हैं। विपक्ष के जायज विरोध के बावजूद भाजपा ने लोकसभा में यह बिल पास करवा लिया और अब राज्यसभा में भी हर हथकंडे अपनाकर यह बिल पास करवाने का पूरा प्रयास करेगी, मगर इस विधेयक के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे, जिसके परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे। बेशक देश में रह रहे अन्य देशों के नागरिकों को स्थायी नागरिक बनाने के लिए यह विधेयक जरूरी थी, मगर सिर्फ गैर मुस्लिम समुदाय के लिए ही इस बिल में प्रावधान करके भाजपा ने फिर से साबित कर दिया कि वह भारत को समान विचारधारा, सभी धर्मों की समानता वाले देश की ब

आर्थिक बर्बादी की ओर बढ़ रहा भारत

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देश का रेलवे अपने इतिहास के सबसे बड़े घाटे में है, बेरोजगारी अपने चरम पर है, बैंक दिवालिया हो रहे हैं, रूपया कोमा में है, जीडीपी न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है, लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं, क्राइम दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इन सबके बावजूद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह कह रहे हैं कि देश आगे बढ़ रहा है, विकास की रफ्तार तेज है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री या तो किसी खुशफहमी में जी रहे हैं या फिर अपने चाटुकारों की टीम के बोझ तले इतना दब गए हैं कि उन्हें कुछ भी साफ-साफ दिख नहीं रहा है या फिर वे देखना नहीं चाहते। हम सब देशवासी भी यही अंदाजा लगा रहे हैं कि यह मंदी अस्थायी है और मोदी सरकार सब कुछ संभालते हुए देश को विकास की पटरी पर ले जाएंगी, लेकिन पिछले सालों में भाजपा की कार्यप्रणाली से देश निरंतर खाई की तरफ जा रहा है और अगर केन्द्र सरकार जल्द नहीं संभली तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भीषण आर्थिक बदहाली में डूब जाएगा। देश में आर्थिक इमरजेंसी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश के बैंक भीषण घाटे में हैं, क्योंकि सरकार की शह पर कुछ बड़े पंूजीपति करोंड़ों, अरबों रूपया डकार

निर्भया कांड-2 और पीएम की चुप्पी?

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दुनिया के प्रसिद्ध लेखकों की थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश बताया है। हैरानी की बात ये है की महिलाएं पाकिस्तान से भी ज्यादा असुरक्षित हमारे देश में हैं। आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो यह सही भी लगता है। 2017 में देश में 3.60 लाख महिलाओं के साथ अपराध हुआ है। अकेले उत्तर प्रदेश में 2017 में 32559 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं। पूरे देश में मात्र एक साल में ही बलात्कार के मामलों की संख्या लाखों में है। ये तो वो आंकड़ें हैं जो दर्ज किए हैं। सोचिए कितने ही मामले ऐसे होंगे जो दर्ज ही नहीं हुए होंगे। जब दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था तो पूरा देश सड़कों पर उतर आया था और सख्त कानून बनाने की बात हुई थी। सरकार ने भी बड़ी-बड़ी बातें की थी, लेकिन आज तक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं हुई। सरकार इस कांड के बाद पीडि़तों, उनके परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए निर्भया कोष का गठन किया था, मगर सरकारी अधिकारियों के उदासीन रवैए और नकारापन का कमाल देखिए की इस कोष के तहत मिलने वाले फंड का आवंटन ही नहीं किया जा रहा। आंकड़ों के अनुसार इस कोष में आवंटित की गई धन

डॉ. प्रियंका रेड्डी की घटना और हमारा महान समाज

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जरा संभलकर चलें दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक देश में, कदम-कदम पर दरिंदे घूम रहे हैं मेरे इस देश में।। हैदराबाद की वैटनरी डॉ. प्रियंका रेड्डी के साथ जो हुआ, अगर उसे आप जानें तो आपका दिल दहल जाएगा। दिल्ली के निर्भया कांड के बाद देश में न तो गैंगरेप की घटनाओं में कमी आई और न ही बलात्कार, महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों में ही। डॉ. प्रियंका रेड्डी की घटना एक बार फिर हमारे समाज को शर्म से झुका देने वाली करतूत है। हैदराबाद की इस डॉक्टर के साथ बलात्कार, गैंगरेप और हत्या की घटना को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि 21वीं सदी में हमारा देश और समाज किस दिशा की ओर जा रहा है। यह क्या हो गया है हमारे समाज को ? एक महिला के साथ इतनी दंरिदंगी? इतना वहशीपन। डॉ. प्रियंका रेड्डी की हत्या के मामले के बाद जो रिपोर्ट सामने आई, उसे देखकर आरोपियों के लिए सजा-ए-मौत की सजा भी कम लगती है। आरोपियों ने उसके साथ कू्ररतम, जानवरों जैसा व्यवहार किया। इस घटना को अंजाम देते हुए आरोपी निर्भया कांड की तरह ही बुरी तरह से निर्दयता के साथ पेश आए, जिसे सुनकर किसी के भी शोले भड़क जाए। ऐसा क्या शराब का नशा हो गया जो हमारे समाज

क्या प्याज से अब आंसू निकलना बंद हो गए?

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किसी समय हमारे देश में प्याज की बढ़ी कीमतों के कारण सरकार तक गिरा दी थी, लेकिन पूरे देश में पिछले छह माह से भी अधिक समय से प्याज की कीमतों में आग लगी हुई है, लेकिन न तो सरकार के कानों पर जूं रेंग रही है और न ही विपक्ष के लिए भी अब बढ़ती प्याज की कीमतें कोई मुद्दा रह गई हैं। रोजमर्रा की भागदौड़ में व्यस्त आम जनमानस ने भी शायद अब बढ़ती कीमतों के साथ समझौता सा कर लिया है। भले ही प्याज की कीमतें पेट्रोल के दामों से भी ऊपर निकल गई हों। सरकार, विपक्ष और आम लोगों के इस रवैए से लग रहा है की प्याज से अब लोगों के आंसू निकलना बंद हो गए हैं। हो सकता है चाइना से कोई ऐसा बीज आ गया हो, जिससे प्याज ने आंसू निकालना बंद कर दिया हो। आज देश की राजधानी से लेकर विभिन्न राज्यों में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं। थोक मंडियों में जहां प्याज 50 से 60 रूपए प्रति किलों, वहीं खुदरा बाजार में ब्याज 90 से 100 रूपए प्रति किलों के हिसाब से बिक रहा है। प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने, मांग को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की बजाय केन्द्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी नजर आ रही है। बेशर्मी की हद देखिए की फूड

समय का पहिया घूम रहा है।

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2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया और उसके बाद कई प्रदेशों में कांग्रेस से सत्ता भी छीनी तो उसके बाद तो जैसे भाजपा के हर छोटे-बड़े नेता ने दंभ में आकर कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगाना शुरू कर दिया। 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद फिर से भाजपा के इस नारे को बल मिला और 300 पार बहुमत पाकर नरेन्द्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने और कांग्रेस के कमजोर नेतृत्व ढुलमुल राजनीतिक रवैए से लोगों को ऐसे लगने लगा की भाजपा तेजी से कांग्रेस मुक्त भारत के सपने की तरफ बढ़़ रही है। 2014 से लेकर 2017 तक भाजपा ने देश के ज्यादातर राज्यों में भाजपा या भाजपा गठबंधन सरकारें बनाने में सफलता पाई और देश के 70 प्रतिशत क्षेत्रफल में भाजपा ही नजर आने लगी थी। मध्यप्रदेश, राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र से लेकर हर छोटे-बड़े राज्य में भाजपा का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा था और कांग्रेस गठबंधन सरकारें धाराशाही होती जा रही थी। सत्ता के मद में चूर भाजपा नेताओं के भाषणों से अहंकार झलकने लगा था, लेकिन वर्तमान में अगर गत दिवस महाराष्ट्र से भी भाजपा के सत्ता गंवाने के बाद अ

कौन सा लोकतंत्र और कैसी मर्यादा?

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हमाम में सब नंगे हैं यहां, मौका मिलने पर दाग अच्छे हैं यहां दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का दम भरने वाले हम भारतीय पिछले एक माह से महाराष्ट्र के महा सियासी ड्रामे के गवाह बन रहे हैं। इस पूरे प्रकरण को हमारे लोकतंत्र की खासियत कहें या कमजोरी। बहुमत, अल्पत, पक्ष-विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच सुप्रीम कोर्ट के आज आए फैसले के बाद फडऩवीस को 27 नवंबर सांय तक फ्लोर टैस्ट साबित करना होगा। उम्मीद के विपरित जिस प्रकार से देवेन्द्र फडऩवीस ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री की शपथ ली तो उसके बाद पूरे देश में महाराष्ट्र की राजनीति की चर्चा चल पड़ी की भाजपा ने एक बार फिर कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष राजनीतिक मात दी, लेकिन शरद पवार, उद्धव ठाकरे ने गत दिवस होटल में 162 विधायकों का साथ होने का दावा किया और विधायकों की शपथ की बात भी कही। शरद पवार, उद्धव ठाकरे का यह दावा कितना सही है यह तो 27 नवंबर को सांय 5 बजे ही पता चल पाएगा, लेकिन राजनीति में हर मिनट महत्वपूर्ण होता है। हमने कई बार परिस्थितियों को बदलते हुए, विधायकों की आस्था बदलते हुए, तमाम उम्मीदों के विपरित सरकारों को

अयोध्या फैसले की आड़ में अपना एजेंडा सेट करता एक राजनीतिक दल!

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अयोध्या फैसले की आड़ में अपना एजेंडा सेट करता एक राजनीतिक दल! रामजन्म भूमि को लेकर पिछली कई सदियों से जारी विवाद जब पिछले पखवाड़े सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो सभी ने इसका स्वागत किया। करना भी चाहिए क्योंकि हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट से ऊपर कुछ भी नहीं और न्यायालय के फैसलों का हमें सम्मान करना चाहिए। भले ही अयोध्या विवाद धर्म से जुड़ा हुआ था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिस सुझबुझ से विवाद की लगातार सुनवाई करके इस मामले में फैसला दिया, उसकी चहुंओर प्रशंसा हो रही है और विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही माना है। देश की जनता पहले ही इस मामले में मूड बना चुकी थी की सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सभी पक्षों की पैरवी सुनते हुए तर्कसंगत फैसला ही सुनाएगा। देश अदालतें और देश की जनता तो अपनी जिम्मेवारियां भली भांति निभा रही हैं, लेकिन राजनीति से जुड़े कुछ लोगों के पेट में दर्द शुरू हो जाता है, जब उनकी राजनीतिक रोटियां सेंकने का एक अहम मुद्दा उनके हाथ से चला गया और देशभर में शांति भी रही। देश में कट्टरता की विचारधारा से ओतप्रोत सत्तासीन पार्टी के नेताओं को अयोध्या मामले में

क्या वापसी कर पाएंगे शाहरूख?

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क्या वापसी कर पाएंगे शाहरूख? बॉक्स ऑफिस पर जब से शाहरूख खान की पिछली फिल्म जीरो असफल साबित हुई, तब से लेकर अब तक काफी लंबा समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक उन्होंने नई फिल्म साईन नहीं की है, जिससे उनके फैन में इस बात की उत्सुकता एवं बेचैनी है की किंग खान आखिरकार क्यों जीरो के असफल होने को दिल पर लगा बैठे हैं। किसी समय बॉक्स ऑफिस के शहंशाह रहे शाहरूख खान की पिछली करीब आधा दर्जन फिल्मों में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, जिसके लिए वे जाने जाते हैं। जीरो के असफल होने के बाद शाहरूख ने थोड़ा बे्रक लिया है और उन्होंने आत्ममंथन भी किया है कि आखिर उनसे गलती कहां हो रही है। निश्चित तौर पर यह बात तो साफ है कि उनकी एक्टिंग स्किल पर किसी को कोई भी शक नहीं है और आज भी वे ऐसे हीरों है, जिनकी फिल्मों की लोग बेचेनी से इतंजार करते हैं। उनके फैंस में इस बात को लेकर टीस साफ नजर आ रही है कि आखिरकार वो नई फिल्म क्यों नहीं साईन कर रहे हैं। फिल्मों को सफल या असफल होना सिर्फ एक कलाकार के हाथ में नहीं होता है। बेशक पिछले कुछ समय से उनकी फिल्मों ब्लॉक बस्टर साबित न हुई हों, लेकिन उन्होंने प्रयोग भी तो बहुत कि

न्यूजपेपर में लिखा है उद्धव सीएम बनेंगे , टीवी में आ रहा है फडनवीस सीएम बन चुके हैं।

कहतें है राजनीति में स्थितियां पल-पल बदलती रहती हैं और यह बात एक बार फिर सही साबित दिखी जब आज सुबह टीवी में अचानक से खबरें आनी शुरू हो गई की देवेन्द्र फडनवीस महाराष्ट्र के सीएम बन चुके हैं और उन्होंने शपथ भी ले ली ही है। आज के सभी प्रमुख अखबारों में मुख्य हैडलाईन है की महाराष्ट्र में अगली सरकार शिवसेना, एनसीपी व कांग्रेस गठबंधन की बनने जा रही है और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम बनेंगे। पिछले एक पखवाड़े से भी ज्यादा समय महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापठक के बीच कल कयास लगाए जा रहे थे कि उद्धव ठाकरे के नाम पर कांग्रेस व एनसीपी में सहमती बन गई और वे शिवसेना के पहले सीएम बनने जा रहे हैं, लेकिन हमेशा की तरह एक बार फिर भाजपा ने चौंकाते हुए पासा पलट दिया और देवेन्द्र फडनवीस को सीएम पद की शपथ दिला दी। हालांकि दावा तो ये भी किया जा रहा है कि उनके पास बहुमत नहीं है और एनसीपी के सभी विधायक उनके समर्थन में नहीं है, लेकिन यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा की क्या देवेन्द्र फडनवीस बहुमत साबित करने में सफल हो पाते हैं या नहीं, लेकिन उन्होंने दोबारा से सीएम पद की शपथ लेकर शिवसेना के उन सभी मंसूबों पर

एक और जहर प्लास्टिक

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एक और जहर प्लास्टिक मोहित भारद्वाज बेइंतहा बढ़ते जा रहे वायू प्रदूषण और मिलावट के महाजाल से जहां हवा और हमारे खाने में जहर बुरी तरह से घुल चुका है, वहीं मानव जीवन के लिए तीसरा सबसे बड़ा जहर बनकर उभरा है प्लास्टिक। पूरी दुनिया में प्लास्टिक के बेजां इस्तेमाल से यह हमारे पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बनकर उभरा है, क्योंकि प्लास्टिक ऐसी वस्तु है जो कभी खत्म नहीं हो सकती। लाखों, करोड़ों टन प्लास्टिक कचरा हर दिन इकठ्ठा हो रहा है और हम धड़ल्ले से इस जहर को इस्तेमाल करते जा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण में ही अगर प्लास्टिक की बात की जाए तो अकेले दिल्ली में मात्र गाडिय़ों के टायर से 1 लाख किलोग्राम रबड़ प्रतिदिन हवा में घुल जाता है, वहीं पूरी दुनिया में हर एक सेकेंड में आठ टन प्लास्टिक का सामान बनता है और हर वर्ष 50 लाख टन प्लास्टिक कचरा समुद्रों में पहुंच जाता है। पानी की बोतलें, खिलौने, कोल्ड ड्रिंक्स, प्लास्टिक पैक में बंद फास्ट फूड सहित अनेक खाद्य पदार्थ दैनिक उपभोग की वस्तुओं में शामिल हैं, जो प्लास्टिक की बोतलों या बैगों में पैक किए जाते हैं। इन प्लास्टिक पैक्ड फूड के उपयोग से धीरे

मेरे देश में हवा भी जहरीली और खाना भी

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देश में हवा भी जहरीली और खाना भी दिल्ली, एनसीआर में वायू प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर जब मैं लिख रहा था तो मेरे जहन में यह बात भी आई की हमारे देश में सिर्फ हवा में ही जहर तेजी से नहीं फैल रहा, बल्कि खाद्य पदार्थों में बढ़ती जा रही मिलावट से भी देशवासी जहर खाने को मजबूर हैं। अब हवा भी जहरीली और खाना भी जहरीला। दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई जैसे बड़े शहरों से लेकर देश के हर छोटे-मोटे शहर में खाद्य पदार्थों में की जा रही मिलावट का गौरखधंधा धड़ल्ले से जारी है। जिस पर न तो सरकारी अधिकारी ही लगाम कस पा रहे हंै और न ही सरकार ही इस दिशा में गंभीर नजर आती है। दालें, दूध, अनाज, मसाले, घी, सब्जी, फल से लेकर हर वह खाद्य पदार्थ आज मिलावट से अछूता नहीं है, जो कि हमारी दैनिक दिनचर्या में शामिल है। रोमर्रा की जरूरतों में उपयोग होने वाली वस्तुओं में मिलावट की वजह से हमारे शरीर पर इसका कुप्रभाव पड़ रहा है और हम जीवन की आपाधापी की व्यस्तता में इतने व्यस्त होते जा रहे हैं कि हमें यह ज्ञान ही नहीं है कि हम या हमारे बच्चे जो खा रहे हैं वह पूरी तरह से स्वच्छ, मिलावट रहित है भी या नहीं। खाद्य पदार्थों में

हवाएं हाल-बेहाल

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हवाएं हाल-बेहाल पानी के बाद अब ऑक्सीजन भी खरीदनी पड़ेगी  पूरे देश में पर्यावरण प्रदूषण को लेकर हो-हल्ला मच रहा है। देश की राजधानी नई दिल्ली में हवा में सांस लेना भी दुश्वार हो गया है। हर बार की तरह चारों ओर किसानों को इस जहरीली हवा के लिए दोषी ठहराया जा रहा है कि पंजाब एवं हरियाणा के किसान पराली जलाते हैं, जिसका जहरीला धुआं हवा में घुलकर दिल्ली पहुंच रहा है। एक नजर से देखा जाए जाए इन दावों में दम भी नजर आता है, क्योंकि सरकारों द्वारा बार-बार चेतावनी देने के बावजूद भी बड़ी संख्या में किसान पराली जला रहे हैं, लेकिन दिल्ली, एनसीआर में जो स्मॉग है, वह सिर्फ पराली का ही नहीं है, बल्कि इसकी तह में अगर जाया जाए तो आपको साफ पता चल जाएगा कि इसके कई कारण हैं, जिसमें प्रमुख रूप से वाहनों का प्रदूषण भी है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने ऑड इवन फार्मूला तो लागू किया, मगर उसका कोई बहुत ज्यादा फायदा नजर नहीं आया, क्योंकि सुप्रीर्म कोर्ट ने सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा भी है कि चीन और अन्य देशों से सरकारें क्यों नहीं सीख रही और ऑड इवन में छूट क्यों दी जा रही है। सरकारें, पार्टिय