एक और जहर प्लास्टिक

एक और जहर प्लास्टिक

मोहित भारद्वाज
बेइंतहा बढ़ते जा रहे वायू प्रदूषण और मिलावट के महाजाल से जहां हवा और हमारे खाने में जहर बुरी तरह से घुल चुका है, वहीं मानव जीवन के लिए तीसरा सबसे बड़ा जहर बनकर उभरा है प्लास्टिक। पूरी दुनिया में प्लास्टिक के बेजां इस्तेमाल से यह हमारे पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बनकर उभरा है, क्योंकि प्लास्टिक ऐसी वस्तु है जो कभी खत्म नहीं हो सकती। लाखों, करोड़ों टन प्लास्टिक कचरा हर दिन इकठ्ठा हो रहा है और हम धड़ल्ले से इस जहर को इस्तेमाल करते जा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण में ही अगर प्लास्टिक की बात की जाए तो अकेले दिल्ली में मात्र गाडिय़ों के टायर से 1 लाख किलोग्राम रबड़ प्रतिदिन हवा में घुल जाता है, वहीं पूरी दुनिया में हर एक सेकेंड में आठ टन प्लास्टिक का सामान बनता है और हर वर्ष 50 लाख टन प्लास्टिक कचरा समुद्रों में पहुंच जाता है। पानी की बोतलें, खिलौने, कोल्ड ड्रिंक्स, प्लास्टिक पैक में बंद फास्ट फूड सहित अनेक खाद्य पदार्थ दैनिक उपभोग की वस्तुओं में शामिल हैं, जो प्लास्टिक की बोतलों या बैगों में पैक किए जाते हैं। इन प्लास्टिक पैक्ड फूड के उपयोग से धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य के लिए  ये जहर साबित होते जा रहे हैं। प्लास्टिक में बंद खाद्य पदार्थों, पेय पदार्थों के उपयोग से ऐसे रसायन पैदा होते हैं हमारे स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं और हम कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों का शिकार बनते जा रहे हैं। आज हमारे देश में कैंसर का रोग तेजी से फैल रहा है। 10 रोगियों में से हर तीसरा रोगी कैंसर से पीडि़त है। प्रथम दृष्टया कैंसर के लिए तंबाकु और शराब का सेवन ही मुख्य दोषी मानते हैं, किंतु रिसर्च से सामने आया है कि प्लास्टिक के बेहंतहा उपयोग से भी कैंसर अपना पैर तेजी से फैला रहा है। यह कितनी खतरनाक और डरावनी बात है कि एक प्लास्टिक की बोतल को नष्ट होने में 400 वर्ष लंगेगे और प्लास्टिक के बैग को 1000 वर्ष। दुनिया में हर मिनट में 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें और हर साल 5 लाख करोड़ प्लास्टिक बैग खरीदे जा रहे हैं, जो कभी न नष्ट होने वाली वस्तुए हैं। आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि हम दुनिया को कचरे के ढेर के रूप में तब्दील करते जा रहे हैं और अगर हम नहीं सभलें तो इस कचरे के ढेर के तले दबकर एक दिन मानव जीवन ही मिट जाएगा। देश की ज्यादातर नदियां प्लास्टिक के कचरे से भर चुकी हैं और दूषित हो चुकी हैं। हजारों, लाखों टन प्लास्टिक कचरा हर रोज इन नदियों में घुल रहा है। हमारे देश में विभिन्न सामाजिक संस्थाएं एवं सरकार प्लास्टिक का प्रयोग कम करने के लिए लोगों को चेताती तो है, लेकिन इस दिशा में बड़े जन आंदोलन  की जरूरत है और प्लास्टिक के उत्पादन पर लगाम कसने तथा प्लास्टिक के विकल्पों के प्रति लोगों को तेजी से जागरूक करने की भी जरूरत है।

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