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Showing posts from December, 2019

इतना भी बेवकूफ मत समझिए!

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-मोहित भारद्वाज- देश के एक राष्ट्रीय अखबार 'द टेलीग्राफ' ने आज की अपनी प्रथम मुख्य खबर में पीएम को झूठा करार दिया है। एनआरसी पर देश में उठे तूफान के बीच 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि एनआरसी के बारे में उनकी सरकार ने चर्चा तक नहीं की, जबकि अमित शाह ने लोकसभा और राज्यसभा में स्पष्ट किया था कि एनआरसी लागू होकर रहेगा। ऐसे में गत दिवस प्रधानमंत्री द्वारा यह कहना कि उनकी सरकार ने तो एनआरसी पर चर्चा तक नहीं की सीधे-सीधे जनता को बेवकूफ बनाने वाली बात ही है। अब देश की जनता किसके बयान पर भरोसा करे पीएम की या गृहमंत्री की। प्रधानमंत्री पर सार्वजनिक कार्यक्रमों में झूठे आंकड़ें पेश करने, झूठ बोलने के आरोप तो कई बार लगे हैं और विपक्षी पार्टियों के नेता अक्सर कहते रहते हैं कि नरेन्द्र मोदी ने इतना झूठ बोला है जिससे प्रधानमंत्री पद की गरिमा ही धूमिल हो गई है। ऐसे में जब सीएए और एनआरसी मुद्दे पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जनता के सामने आकर अपनी सरकार का स्पष्ट नजरिया रखने और लोगों की आशंकाओं का जवाब देने की बजाय प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अलग-अलग बयान दे

आपको हिंदू राष्ट्र चाहिए या धर्म निरपेक्ष राष्ट्र?

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-मोहित भारद्वाज- नागरिकता बिल और एनआरसी का पूरे देश में विरोध तेज होता जा रहा है। दिल्ली के जामिया नगर से उठी विरोध की चिंगारी पूरे देश मेें फैलती जा रही है और देश दो विचारधाराओं के बीच बंटता हुआ नजर आ रहा है। घटते जा रहे रोजगार, शिक्षा प्रणाली तथा बदहाल अर्थव्यवस्था पर जोर देने की बजाय केन्द्र सरकार अपने एजेंडे को लागू करने के प्रति पूरी तरह से गंभीर नजर आ रही है, भले ही देश में उनकी नीतियों के विरोध में बड़े पैमाने पर विरोध ही क्यों न हो रहा हो। देश में बहस छिड़ गई है कि क्या मोदी सरकार भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की तरफ ले जा रही है। भाजपा के दूसरे कार्यकाल में जिस प्रकार से गृह मंत्री अमित शाह फैसले ले रहे हैं, उससे देश के अल्पसंख्यक समुदाय में एक तरह का डर पैदा हो गया है। सरकार और गृह मंत्री दावा कर रहे हैं कि समान नागरिकता बिल से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, लेकिन यह बिल असल में एनआरसी को लागू करने के लिए एक तरह से हथियार होगा, जिसे गैर हिंदुओं के हितों पर सीधे-सीधे तौर पर देखा जा रहा है। सरकार कह रही है कि 1947 में देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था, जो कि नहीं

क्या यह लोकतांत्रिक देश की निशानी है?

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-मोहित भारद्वाज- जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने नोटबंदी, जीएसटी जैसे प्रावधानों को तमाम विरोधों, शंकाओं, अर्थशात्रियों की सलाह को ठुकराकर लागू किया था, उसी प्रकार से समान नागरिकता और एनआरसी जैसे बिलों को जबरदस्ती देश पर थोप दिया गया है, जिसका चहुं ओर विरोध हो रहा है। भले ही नोटबंदी, जीएसटी जैसे प्रावधानों ने इस देश की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया हो, लेकिन केन्द्र सरकार अपने अडिय़ल रवैए पर चलते हुए तानाशाही नीतियां थोप रही हैं। उनकी नीतियों का विरोध करने वाले लोगों को देशद्रोही, उग्रवादी, नक्सलवादी, राष्ट्रविरोधी करार दिया जा है, जिससे देश में अशांति, डर का माहौल पैदा हो रहा है। रविवार को नई दिल्ली के जामिया नगर में हुई हिंसा और पुलिस बर्बरता पर बहुत सारी बातें हो रही हैं। मीडिया का एक वर्ग प्रदर्शन करने वाले छात्रों को उग्रवादी, हिंसावादी बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा, लेकिन जिस प्रकार से दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालयों के अंदर घुसकर, होस्टलों के अंदर जाकर आंसू गैस, लाठीचार्ज से छात्रों को पीटा है, उससे पूरे देश के छात्र वर्ग में उबाल आ गया है। समान नागरिकता कानून के विरोध

7 सालों के बाद भी बार-बार सामने आ रही निर्भया

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˜मोहित भारद्वाज आज से ठीक सात साल पहले देश में एक ऐसी विभत्स घटना घटी थी, जिसके बारे में न तो कभी सुना था, न देखा था कि ऐसा भी हो सकता है और वो भी 21वीं सदी के भारत में। 2012 में आज ही की रात दिल्ली की सड़कों पर निर्भया के साथ दरिदंगी हुई थी। इन 7 सालों के बाद न तो उनके परिजनों को आज तक पूरा इंसाफ मिला और न ही निर्भय को न्याय, बल्कि 7 सालों में निर्भय को इंसाफ दिलाने के लिए उनके परिजनों के जारी संघर्ष ने उनके जीवन को एक तरह से नर्क बना दिया है। जब यह घटना हुई तो ऐसी दरिंदगी देखकर पूरा देश उबल गया था। लोग सड़कों पर थे और उम्मीद थी कि यह इतिहास की पहली और आखरी घटना है, मगर अफसोस की हर दिन हमारे सामने निर्भया जैसे केस सामने आ रहे हैं। हमारे देश में हर 15 निमट में एक बलात्कार हो रहा है। बलात्कार के 1 लाख 27 हजार केस हमारी अदालतों में लंबित पड़े हैं। कठुआ, उन्नाव, शाहजहांपुर और हाल ही में हैदराबाद की वैटनरी डॉक्टर के साथ हुई निर्भया जैसी ही दरिंदगी नैतिक रूप से खत्म होते जा रहे हमारे की एक तस्वीर पेश कर रही है। आज पूरी दुनिया में भारत को रेप कंट्री के रूप में प्रसिद्धि मिल रही है। महिल

संघर्ष के सहारे मैं पहुंचूंगा एक दिन उस पार

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संघर्ष के सहारे मैं पहुंचूंगा एक दिन उस पार, मेहनत, अनुशासन की ताकत से पाउंगा अपनी कमियों से पार। भले कितने ही कंटीले हो रास्ते, मंजिल के पहुंचूंगा जरूर उस पार, गलतियों ने सिखाया है मुझे, बनाना व्यक्तित्व को असरदार। किस्मत का पहिया घूमेगा जरूर करवाने मुझे दुनिया की सैर। रचनाकार : मोहित भारद्वाज

जन्मदिन पर राजकपूर की यादें

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उन्हें कलाकार कहें, निर्माता कहें, कहानीकार कहें, निर्देशक कहें या फिर कहें राजकपूर। एक महान फिल्मकार को आज उनके जन्मदिन के अवसर पर पूरा देश याद कर रहा है। राज कपूर अपने आप में एक संस्थान थे, जिससे शिक्षा लेकर अनेक लोगों ने फिल्म इंडस्ट्री में अपना कैरियर बनाया। यह राजकपूर के पिता की महान विरासत ही है कि पृथ्वी राज कपूर से लेकर और रणबीर कपूर तक हर दौर में कपूर खानदान ने महान कलाकार दिए, जिन्होंने अपने विलक्षण अभिनय से लोगों का दिल जीता। रणबीर कपूर के पिता ऋषि कपूर जो हाल ही में कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से जूझकर फिर से अभिनय की दुनिया में व्यस्त हो गए हैं। कपूर खानदान में महान और विलक्षण अभिनेता तो हर दौर में हुए और आज भी रणबीर कपूर के रूप में कपूर खानदान की वो महान अदाकारी कायम जो पुराने दौर में याद आती थी, मगर राज कपूर ने न केवल अभिनय बल्कि निर्देशक के तौर पर ऐसी-ऐसी महान फिल्में रची जिनसे कई-कई बार देखने के बाद भी मन नहीं भरता। बॉलीवुड इतिहास के सही मायने में अगर कोई शो मैन थे तो राजकपूर, जिन्होंने हमारे समाज की कुरीतियों को अपनी फिल्मों में उठाया और सामाजिक दिशा में उनकी फिल्मों

देश को ले डूबेगी यह कट्टरवादी विचारधारा

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बहुमत के नशे में चूर होकर भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस अपनी कट्टर विचारधारा को देश पर थोपने में लगे हुए हैं और धीरे-धीरे ऐसे कानूनों को अमलीजामा पहनाने में लगे हैं, जिससे भारत की छवि दुनिया के सामने ठीक वैसी ही बनती जा रही है जिस प्रकार से कट्टरपंथी पाकिस्तान की। समान नागरिकता विधेयक देश के लिए जरूरी है का जो ढोल भाजपा पीट रही है असल में उसके पीछे आरएसएस की अपनी सोच ही है, जिसमें इस विधेयक में भाजपा ने अपनी सहुलिय अनुसार बदलाव करके भारत को कट्टर हिंदुत्ववादी विचारधारा में झोंकने के प्रावधान हैं। विपक्ष के जायज विरोध के बावजूद भाजपा ने लोकसभा में यह बिल पास करवा लिया और अब राज्यसभा में भी हर हथकंडे अपनाकर यह बिल पास करवाने का पूरा प्रयास करेगी, मगर इस विधेयक के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे, जिसके परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे। बेशक देश में रह रहे अन्य देशों के नागरिकों को स्थायी नागरिक बनाने के लिए यह विधेयक जरूरी थी, मगर सिर्फ गैर मुस्लिम समुदाय के लिए ही इस बिल में प्रावधान करके भाजपा ने फिर से साबित कर दिया कि वह भारत को समान विचारधारा, सभी धर्मों की समानता वाले देश की ब

आर्थिक बर्बादी की ओर बढ़ रहा भारत

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देश का रेलवे अपने इतिहास के सबसे बड़े घाटे में है, बेरोजगारी अपने चरम पर है, बैंक दिवालिया हो रहे हैं, रूपया कोमा में है, जीडीपी न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है, लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं, क्राइम दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इन सबके बावजूद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह कह रहे हैं कि देश आगे बढ़ रहा है, विकास की रफ्तार तेज है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री या तो किसी खुशफहमी में जी रहे हैं या फिर अपने चाटुकारों की टीम के बोझ तले इतना दब गए हैं कि उन्हें कुछ भी साफ-साफ दिख नहीं रहा है या फिर वे देखना नहीं चाहते। हम सब देशवासी भी यही अंदाजा लगा रहे हैं कि यह मंदी अस्थायी है और मोदी सरकार सब कुछ संभालते हुए देश को विकास की पटरी पर ले जाएंगी, लेकिन पिछले सालों में भाजपा की कार्यप्रणाली से देश निरंतर खाई की तरफ जा रहा है और अगर केन्द्र सरकार जल्द नहीं संभली तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भीषण आर्थिक बदहाली में डूब जाएगा। देश में आर्थिक इमरजेंसी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश के बैंक भीषण घाटे में हैं, क्योंकि सरकार की शह पर कुछ बड़े पंूजीपति करोंड़ों, अरबों रूपया डकार

निर्भया कांड-2 और पीएम की चुप्पी?

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दुनिया के प्रसिद्ध लेखकों की थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश बताया है। हैरानी की बात ये है की महिलाएं पाकिस्तान से भी ज्यादा असुरक्षित हमारे देश में हैं। आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो यह सही भी लगता है। 2017 में देश में 3.60 लाख महिलाओं के साथ अपराध हुआ है। अकेले उत्तर प्रदेश में 2017 में 32559 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं। पूरे देश में मात्र एक साल में ही बलात्कार के मामलों की संख्या लाखों में है। ये तो वो आंकड़ें हैं जो दर्ज किए हैं। सोचिए कितने ही मामले ऐसे होंगे जो दर्ज ही नहीं हुए होंगे। जब दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था तो पूरा देश सड़कों पर उतर आया था और सख्त कानून बनाने की बात हुई थी। सरकार ने भी बड़ी-बड़ी बातें की थी, लेकिन आज तक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं हुई। सरकार इस कांड के बाद पीडि़तों, उनके परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए निर्भया कोष का गठन किया था, मगर सरकारी अधिकारियों के उदासीन रवैए और नकारापन का कमाल देखिए की इस कोष के तहत मिलने वाले फंड का आवंटन ही नहीं किया जा रहा। आंकड़ों के अनुसार इस कोष में आवंटित की गई धन

डॉ. प्रियंका रेड्डी की घटना और हमारा महान समाज

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जरा संभलकर चलें दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक देश में, कदम-कदम पर दरिंदे घूम रहे हैं मेरे इस देश में।। हैदराबाद की वैटनरी डॉ. प्रियंका रेड्डी के साथ जो हुआ, अगर उसे आप जानें तो आपका दिल दहल जाएगा। दिल्ली के निर्भया कांड के बाद देश में न तो गैंगरेप की घटनाओं में कमी आई और न ही बलात्कार, महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों में ही। डॉ. प्रियंका रेड्डी की घटना एक बार फिर हमारे समाज को शर्म से झुका देने वाली करतूत है। हैदराबाद की इस डॉक्टर के साथ बलात्कार, गैंगरेप और हत्या की घटना को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि 21वीं सदी में हमारा देश और समाज किस दिशा की ओर जा रहा है। यह क्या हो गया है हमारे समाज को ? एक महिला के साथ इतनी दंरिदंगी? इतना वहशीपन। डॉ. प्रियंका रेड्डी की हत्या के मामले के बाद जो रिपोर्ट सामने आई, उसे देखकर आरोपियों के लिए सजा-ए-मौत की सजा भी कम लगती है। आरोपियों ने उसके साथ कू्ररतम, जानवरों जैसा व्यवहार किया। इस घटना को अंजाम देते हुए आरोपी निर्भया कांड की तरह ही बुरी तरह से निर्दयता के साथ पेश आए, जिसे सुनकर किसी के भी शोले भड़क जाए। ऐसा क्या शराब का नशा हो गया जो हमारे समाज