डॉ. प्रियंका रेड्डी की घटना और हमारा महान समाज

जरा संभलकर चलें दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक देश में,
कदम-कदम पर दरिंदे घूम रहे हैं मेरे इस देश में।।
हैदराबाद की वैटनरी डॉ. प्रियंका रेड्डी के साथ जो हुआ, अगर उसे आप जानें तो आपका दिल दहल जाएगा। दिल्ली के निर्भया कांड के बाद देश में न तो गैंगरेप की घटनाओं में कमी आई और न ही बलात्कार, महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों में ही। डॉ. प्रियंका रेड्डी की घटना एक बार फिर हमारे समाज को शर्म से झुका देने वाली करतूत है। हैदराबाद की इस डॉक्टर के साथ बलात्कार, गैंगरेप और हत्या की घटना को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि 21वीं सदी में हमारा देश और समाज किस दिशा की ओर जा रहा है। यह क्या हो गया है हमारे समाज को ? एक महिला के साथ इतनी दंरिदंगी? इतना वहशीपन। डॉ. प्रियंका रेड्डी की हत्या के मामले के बाद जो रिपोर्ट सामने आई, उसे देखकर आरोपियों के लिए सजा-ए-मौत की सजा भी कम लगती है। आरोपियों ने उसके साथ कू्ररतम, जानवरों जैसा व्यवहार किया। इस घटना को अंजाम देते हुए आरोपी निर्भया कांड की तरह ही बुरी तरह से निर्दयता के साथ पेश आए, जिसे सुनकर किसी के भी शोले भड़क जाए। ऐसा क्या शराब का नशा हो गया जो हमारे समाज के युवाओं की मानसिकता इस कद्र वहशीपन की ओर जा रही है। क्या महज ये शराब का ही नशा है, जो आदमी इतना निर्दयी, दरिंदा हो जाता है की उसे सामने वाली महिला के साथ हो रहे अत्याचार का ही ज्ञान नहीं।  रिपोर्ट में पता चला है की आरोपियों ने डॉ. प्रियंका को पहले किडनैप किया, उसके साथ पशु जैसा व्यवहार करते हुए गैंगरेप किया और उसके बाद उसे जला दिया। जब दिल्ली का निर्भया कांड सामने आया था तो लगा था कि इस तरह की यह शायद पहली और आखिरी घटना है, क्योंकि इस तरह की मानसिकता वाले दरिंदे नार्मल नहीं हो सकते, लेकिन उसके बाद कई घटनाएं हमारे देश में आई हैं, जो शर्मसार करने वाली हैं। सोचिए दुनिया के सामने हमारे देश और समाज की छवि किस तरह की बन रही है। महिलाओं, लड़कियों के साथ इतना क्रूरतम व्यवहार हमारे समाज के उन पाखंडों की भी पोल खोलता है, जिसमें धार्मिक लोग हमारे समाज के महान होने के दावे करते नहीं थकते कि हिंदुस्तान का समाज दुनिया के सभी समाजों में श्रेष्ठ है। इस तरह की मानसिकता रखने वाला हमारे समाज के बारे में हम क्या कहें। इतनी ज्यादा दरिंदगी, क्रूररता और महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं तो इतिहास में भी कहीं देखने को नहीं मिलती। डॉ. प्रियंका रेड्डी के आरोपियों को मौत की सजा भी कम ही है। प्रियंका को न्याय की मांग को लेकर जगह-जगह धरने, प्रदर्शन लोग कर रहे हैं और सरकार, पुलिस प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। यह सही है की इन दंरियों को जितनी भी सज़ा दी जाए कम है, मगर इसमें सरकार या पुलिस भी क्या कर सकती है? जब लोगों की मानसिकता ही इतनी कू्रर होती जा रही है तो उन्हें सज़ा का भी क्या खौफ होगा? क्योंकि मुझे नहीं लगता कि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग सज़ा के बारे में फ्रिक करते होंगे। इस तरह की बढ़ रही घटनाओं पर लगाम कसने के लिए पूरे राष्ट्र, सभी धर्र्माें के लोगों और समाज को गंभीरता से सोचना होगा कि युवाओं की बदल रही मानसिकता के क्या कारण है?  निश्चित तौर पर कड़ी सज़ा से अपराधिक मानसिकता वाले लोगों में खौफ पैदा होगा, लेकिन इस तरह की घटनाओं में जो आरोपी सामने आ रहे हैं, उनमें ज्यादातर युवा हैं, जो बिमार सैक्स मानसिकता से ग्रस्त मिलते हैं। साफ है की सैक्स एजुकेशन को देश में लागू करने की जरूरत है। 

Comments

  1. सजाये मौत होनी चाहिये

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