निर्भया कांड-2 और पीएम की चुप्पी?
दुनिया के प्रसिद्ध लेखकों की थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश बताया है। हैरानी की बात ये है की महिलाएं पाकिस्तान से भी ज्यादा असुरक्षित हमारे देश में हैं। आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो यह सही भी लगता है। 2017 में देश में 3.60 लाख महिलाओं के साथ अपराध हुआ है। अकेले उत्तर प्रदेश में 2017 में 32559 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं। पूरे देश में मात्र एक साल में ही बलात्कार के मामलों की संख्या लाखों में है। ये तो वो आंकड़ें हैं जो दर्ज किए हैं। सोचिए कितने ही मामले ऐसे होंगे जो दर्ज ही नहीं हुए होंगे। जब दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था तो पूरा देश सड़कों पर उतर आया था और सख्त कानून बनाने की बात हुई थी। सरकार ने भी बड़ी-बड़ी बातें की थी, लेकिन आज तक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं हुई। सरकार इस कांड के बाद पीडि़तों, उनके परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए निर्भया कोष का गठन किया था, मगर सरकारी अधिकारियों के उदासीन रवैए और नकारापन का कमाल देखिए की इस कोष के तहत मिलने वाले फंड का आवंटन ही नहीं किया जा रहा। आंकड़ों के अनुसार इस कोष में आवंटित की गई धनराशि में से 11 राज्य तो ऐसे हैं, जहां एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया। देश की राजधानी और क्राइम सिटी के रूप में बदनाम दिल्ली ने 390.90 करोड़ रूपए में से पीडि़तों पर सिर्फ 19.41 करोड़ रूपए ही खर्च हुए हैं। इन सब से सरकारों, अधिकारियों के उन दावों की पोल खुल जाती है, जिनमें नेता लंबे चौड़े दावे करते नहीं थकते की सरकार पीडि़तों की मदद के प्रति गंभीर है। न तो सरकार महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने के प्रति ही गंभीर है, जिसका अंदाजा निर्भया के आरोपियों की अभी तक फांसी न होने से पता चल जाता है और न ही पीडि़तों के उत्थान के लिए प्रति ही सरकार गंभीर है।
सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की हमारे प्रधानमंत्री जी आए दिन मन की बात तो करते हैं, लेकिन अभी तक हैदराबाद की वैटनरी डॉक्टर के साथ हुई जघन्य घटना पर उनका एक ट्वीट तक नहीं आया है। मन की बात में वे सिर्फ खुद का और उनकी सरकार का गुणगान करते ही नजर आते हैं। ऐसे गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर पीएम की चुप्पी उनके गैरजिम्मेदाराना रवैए को ही दर्शाती है। अब जबकी निर्भया कांड-2 को लेकर सड़क से लेकर संसद तक चर्चा हो रही है ऐसे में पीएम की इस मामले पर चुप्पी हर किसी को अखर रही है। क्यों वे आगे आकर देश को खासकर महिला वर्ग को यह विश्वास नहीं दिलाते की ऐसे दरिंदों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने के प्रति उनकी सरकार वचनबद्ध है।
सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की हमारे प्रधानमंत्री जी आए दिन मन की बात तो करते हैं, लेकिन अभी तक हैदराबाद की वैटनरी डॉक्टर के साथ हुई जघन्य घटना पर उनका एक ट्वीट तक नहीं आया है। मन की बात में वे सिर्फ खुद का और उनकी सरकार का गुणगान करते ही नजर आते हैं। ऐसे गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर पीएम की चुप्पी उनके गैरजिम्मेदाराना रवैए को ही दर्शाती है। अब जबकी निर्भया कांड-2 को लेकर सड़क से लेकर संसद तक चर्चा हो रही है ऐसे में पीएम की इस मामले पर चुप्पी हर किसी को अखर रही है। क्यों वे आगे आकर देश को खासकर महिला वर्ग को यह विश्वास नहीं दिलाते की ऐसे दरिंदों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने के प्रति उनकी सरकार वचनबद्ध है।
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