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जाना बेरूखी क्या चीज है....  जब दर्द हुआ तो जाना बेरूखी क्या चीज है, पीकर भी नहीं हुआ नशा तो जाना, किसी का हो जाना क्या चीज है, कुछ बातें कभी कही नहीं जाती, समझना ही काफी है कि क्या चीज है, अब कैसे कहूं, क्या करूं, बेचैनी बढ़ रही है पर वो अज़ीज है।  -मोहित मैं भी तन्हा, वो भी तन्हा चारों ओर है भीड़, फिर क्यूं हैं तन्हा, बाते हैं बहुत, मगर दिल है तन्हा, सब कुछ है मेरे पास, कहने को यहां, पर ढूंढने जाउं खुशी, तो मन है तन्हा, आधी गुजर चुकी ये जिंदगी, पर दिल रहा तन्हा, चाहा जो क्या मिल पाएगा कभी,  या यूं ही गुजर जाएगा जिदंगी का ये सफर मेरा तन्हा। -मोहित