अपने ही देश में बेगाना करने की ये साजिशें
-मोहित भारद्वाज- अपने ही देश में अपनी पहचान बताने के लिए मजबूर करने वाले कानून सीएए, एनआरसी के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग की हजारों औरतों को धरने पर बैठे एक माह का समय बीतने का हो है। प्रतिदिन अपना कामकाज निपटाकर सांय 4 बजे ये औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ धरने पर पहुंचती हैं और देर रात तक सर्दी में शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताने के लिए मजबूर हैं, ताकि धर्म के नाम पर देश को बांटने पर उतारू इस सरकार के हुक्मरान जाग सकें, मगर इन लोगों की बातें सुनना तो दूर भाजपा के मंत्री इनको धमकाने वाली बयानबाजी कर रहे हैं। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेगी का कहना कि अच्छा है अगर शाहीन बाग में बैठी औरतें स्वयं ही चली जाएं। यह किस तरह की भाषा है। इसी तरह गृहमंत्री भी कह रहे हैं कि विरोध चाहे कितना भी हो सीएए लागू करके ही रहेंगे। अंदाजा लगाया जा सकता कि अपने मंशूबों को लागू करने के लिए केन्द्र सरकार किसी विरोध का परवाह नहीं कर रही और चाहे इसके परिणाम कितने भी घातक क्यों न हों वे अपना फैसला थोपकर रहेंगे। पिछले पांच सालों में लिए गए उनके फैसलों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो यह साफ हो जाता है कि इस बार भ