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Showing posts from January, 2020

अपने ही देश में बेगाना करने की ये साजिशें

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-मोहित भारद्वाज- अपने ही देश में अपनी पहचान बताने के लिए मजबूर करने वाले कानून सीएए, एनआरसी के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग की हजारों औरतों को धरने पर बैठे एक माह का समय बीतने का हो है। प्रतिदिन अपना कामकाज निपटाकर सांय 4 बजे ये औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ धरने पर पहुंचती हैं और देर रात तक सर्दी में शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताने के लिए मजबूर हैं, ताकि धर्म के नाम पर देश को बांटने पर उतारू इस सरकार के हुक्मरान जाग सकें, मगर इन लोगों की बातें सुनना तो दूर भाजपा के मंत्री इनको धमकाने वाली बयानबाजी कर रहे हैं। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेगी का कहना कि अच्छा है अगर शाहीन बाग में बैठी औरतें स्वयं ही चली जाएं। यह किस तरह की भाषा है। इसी तरह गृहमंत्री भी कह रहे हैं कि विरोध चाहे कितना भी हो सीएए लागू करके ही रहेंगे। अंदाजा लगाया जा सकता कि अपने मंशूबों को लागू करने के लिए केन्द्र सरकार किसी विरोध का परवाह नहीं कर रही और चाहे इसके परिणाम कितने भी घातक क्यों न हों वे अपना फैसला थोपकर रहेंगे। पिछले पांच सालों में लिए गए उनके फैसलों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो यह साफ हो जाता है कि इस बार भ

"चौकीदार" के भेष में गोडसे की कौम!

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  क्या प्रचंड बहुमत तानाशाही का लाईसेंस है! -मोहित भारद्वाज- आंखे बंद कर लीजिए, कान बंद कर लीजिए, कलम चलाना भी रोक दीजिए, कुछ भी बुरा क्यों न हो रहा हो आपके सामने रियक्ट मत कीजिए, क्योंकि आप एक ऐसे देश के निवासी हैं जिसके वर्तमान हुक्मरानों के खिलाफ बोलने वालों को न के वल देशद्रोही समझा जाता है, बल्कि विरोध करने पर उनको पीटा भी जाता है। देश की सबसे प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में गत रात्रि हुई बर्बरता असल में पिछले कुछ समय से देश के ताजा माहौल को बयां कर रही है। देश के राजधानी की यूनिवर्सिटी के कैंपस में सरेआम कुछ नकाबपोश हाथों में राड, तलवार, डंडे लिए हुए आते हैं और छात्रों को पीटना शुरू कर देते हैं। हैरानी की बात है कि पुलिस विश्वविद्यालय के बाहर खड़ी रही और दो घंटे बाद तब अंदर गई जब नकाबपोशों ने कैंपस में खुली तबाही मचा ली और अनेक छात्रों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। सोच कर ही मन सिहर उठता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। क्या हमारे अमर शहीदों ने इसी भारत के निर्माण के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। किस और

2020 में किस एजेंडे पर चलेगी मोदी सरकार?

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-मोहित भारद्वाज- 2019 बीत गया और 2010 की नई सुबह के साथ ही पूरी दुनिया ने नए वर्ष का स्वागत दिल खोलकर किया है। भारत में भी हर वर्ष की भांति अनेक जगहों पर लोगों ने नए वर्ष पर आतिशबाजियां करके जश्न मनाया। हमारे देश के लोगों की यह खूबी रही है कि चाहे कितनी ही परेशानियां जीवन में चलती रहें, मगर खुश होने का कोई बहाना वो छोड़ते नहीं हैं और जीवन की आपाधापी के बीच नई चुनौतियों को पार पाने की उम्मीद के बीच दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने भी अन्य देशों की नूतन वर्ष का स्वागत किया है। भारत युवाओं का देश है और 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम लोगों की हैं। आज का युवा अपने कैरियर के प्रति सचेत तो है ही हर मुद्दे पर रियक्ट भी तुरंत करता है और राष्ट्रीय मुद्दों पर जब बात आती है तो सड़कों पर उतरने से भी परहेज नहीं करता। 2019 में देश ने नरेन्द्र मोदी सरकार को एक और मौका देते हुए प्रचंड बहुमत दिया इस उम्मीद में कि वह देश को उन्नति, प्रगति के पथ पर आगे ले जाते हुए दुनिया में भारत को विश्वशक्ति बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी। यही कारण रहा कि जो बहुमत 300 पार मोदी ने जनता ने मांगा वही दिया, मगर अपने द