2020 में किस एजेंडे पर चलेगी मोदी सरकार?

-मोहित भारद्वाज-
2019 बीत गया और 2010 की नई सुबह के साथ ही पूरी दुनिया ने नए वर्ष का स्वागत दिल खोलकर किया है। भारत में भी हर वर्ष की भांति अनेक जगहों पर लोगों ने नए वर्ष पर आतिशबाजियां करके जश्न मनाया। हमारे देश के लोगों की यह खूबी रही है कि चाहे कितनी ही परेशानियां जीवन में चलती रहें, मगर खुश होने का कोई बहाना वो छोड़ते नहीं हैं और जीवन की आपाधापी के बीच नई चुनौतियों को पार पाने की उम्मीद के बीच दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने भी अन्य देशों की नूतन वर्ष का स्वागत किया है। भारत युवाओं का देश है और 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम लोगों की हैं। आज का युवा अपने कैरियर के प्रति सचेत तो है ही हर मुद्दे पर रियक्ट भी तुरंत करता है और राष्ट्रीय मुद्दों पर जब बात आती है तो सड़कों पर उतरने से भी परहेज नहीं करता। 2019 में देश ने नरेन्द्र मोदी सरकार को एक और मौका देते हुए प्रचंड बहुमत दिया इस उम्मीद में कि वह देश को उन्नति, प्रगति के पथ पर आगे ले जाते हुए दुनिया में भारत को विश्वशक्ति बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी। यही कारण रहा कि जो बहुमत 300 पार मोदी ने जनता ने मांगा वही दिया, मगर अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार की कार्यप्रणाली, विवादित फैसलों और गैर जरूरी मुद्दों पर हवा देने की रणनीति से देश की जनता निराश हुई है। युवा वर्ग ने मोदी सरकार को इसलिए फिर से वोट नहीं दिया था कि वह देश में हिंदु-मुस्लिम की बहस छेड़ दे। युवाओं ने तो मोदी से उम्मीद करते हुए इसलिए वोट दिया था कि वह देश में बढ़ रही बेरोजगारी को खत्म करते हुए युवाओं को सुनहरा भविष्य देंगे, मगर अफसोस की जो वादे चुनावों में केन्द्र सरकार ने जनता से किए थे, उन पर चलने की बजाय वह कुछ और ही कर रही है। सीएए, एनआरसी पर जारी देशभर में बहस इसका जीता जागता उदाहरण है कि मोदी सरकार जनभावनाओं को समझने की बजाय आरएसएस के वर्षों पुराने एजेंडे को लागू करने पर उतारू है और प्रचंड बहुमत के नशे में वह यह भूल गई है कि उनके तानाशाही फैसलों से लोकतांत्रिक और सभी धर्मों का सम्मान करने वाले हमारे देश की जो छवि दुनिया के सामने बनी है उसको भारी ठेस पहुंची है। देश की जनता के सामने यह प्रश्न बार-बार कौंध रहा है कि क्या मोदी सरकार अपने एजेंडे से पीछे हटेगी या फिर विरोध करने वाले सभी लोगों को देशद्रोही साबित करने की रणनीति पर चलते हुए देश में सांप्रदायिकता का जहर घोलेगी? गिरती अर्थव्यवस्था, घटते रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देगी या फिर भारत जिसने पिछले 50 वर्षों में सर्वधर्म सम्मान की अपनी नीति पर चलते हुए अपने आपको विश्वशक्ति के रूप में स्थापित किया है, उसको हिंदूराष्ट्र घोषित करने पर उतारू होगी? उम्मीद है कि लोकसभा चुनावों के बाद कई राज्यों में मिली करारी हार के बाद मोदी सरकार कुछ सचेत होगी और 2020 में गैर जरूरी मुद्दों पर चलने की बजाय देश की बुनियादी समस्याओं की तरफ ध्यान देगी। 

Comments

Popular posts from this blog