अपने ही देश में बेगाना करने की ये साजिशें


-मोहित भारद्वाज-
अपने ही देश में अपनी पहचान बताने के लिए मजबूर करने वाले कानून सीएए, एनआरसी के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग की हजारों औरतों को धरने पर बैठे एक माह का समय बीतने का हो है। प्रतिदिन अपना कामकाज निपटाकर सांय 4 बजे ये औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ धरने पर पहुंचती हैं और देर रात तक सर्दी में शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताने के लिए मजबूर हैं, ताकि धर्म के नाम पर देश को बांटने पर उतारू इस सरकार के हुक्मरान जाग सकें, मगर इन लोगों की बातें सुनना तो दूर भाजपा के मंत्री इनको धमकाने वाली बयानबाजी कर रहे हैं। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेगी का कहना कि अच्छा है अगर शाहीन बाग में बैठी औरतें स्वयं ही चली जाएं। यह किस तरह की भाषा है। इसी तरह गृहमंत्री भी कह रहे हैं कि विरोध चाहे कितना भी हो सीएए लागू करके ही रहेंगे। अंदाजा लगाया जा सकता कि अपने मंशूबों को लागू करने के लिए केन्द्र सरकार किसी विरोध का परवाह नहीं कर रही और चाहे इसके परिणाम कितने भी घातक क्यों न हों वे अपना फैसला थोपकर रहेंगे। पिछले पांच सालों में लिए गए उनके फैसलों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो यह साफ हो जाता है कि इस बार भी वे पीछे नहीं हटेंगे। नोबंदी, जीएसटी जैसे बेतुके फैसलों ने इस देश की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस करके रसातल में पहुंचा दिया, मगर जनाब हैं की देश को बर्बाद करने वाले फैसले लिए जा रहे हैं सिर्फ अपनी विचारधारा थोपने के लिए। नोटबंदी व जीएसटी ने ऐसी चोट अर्थव्यवस्था को मारी की देश में आज रोजगार का गहरा संकट छा गया है। देश के सबसे बड़े बैंक ने गत दिवस बताया कि 16 लाख रोजगार घटें हैं और पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी भारत में इस समय है। बढ़ती बेरोजगारी और सातवें आसमान पर पहुंची महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दों पर से ध्यान भटकाने के लिए लोगों को हिंदू-मुस्लिम की बहस में झोंक दिया गया है। सिर्फ धर्म के नाम पर अपने ही देश में लोग अपने आपको बेगाने महसूस कर रहे हैं। भले ही उनके पुरखों ने इस मिट्टी के लिए कुर्बानियां क्यों न दी हों। आवाज उठाने वालों को दबाया जा रहा है, कुचला जा रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र सिर्फ कहने को लोकतंत्र रह गया है। दुनिया में हमारी छवि सांप्रदायिक देश की बनती जा रही है, लेकिन सत्तासीन लोगों को सिर्फ अपनी विचारधारा थोपने की पड़ी है। सोचिए एक माह के बच्चे को गोद में लिए सर्दी की रात में शाहीन बाग पहुंच रही उस मां पर क्या बीत रही होगी। 

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