7 सालों के बाद भी बार-बार सामने आ रही निर्भया


˜मोहित भारद्वाज
आज से ठीक सात साल पहले देश में एक ऐसी विभत्स घटना घटी थी, जिसके बारे में न तो कभी सुना था, न देखा था कि ऐसा भी हो सकता है और वो भी 21वीं सदी के भारत में। 2012 में आज ही की रात दिल्ली की सड़कों पर निर्भया के साथ दरिदंगी हुई थी। इन 7 सालों के बाद न तो उनके परिजनों को आज तक पूरा इंसाफ मिला और न ही निर्भय को न्याय, बल्कि 7 सालों में निर्भय को इंसाफ दिलाने के लिए उनके परिजनों के जारी संघर्ष ने उनके जीवन को एक तरह से नर्क बना दिया है। जब यह घटना हुई तो ऐसी दरिंदगी देखकर पूरा देश उबल गया था। लोग सड़कों पर थे और उम्मीद थी कि यह इतिहास की पहली और आखरी घटना है, मगर अफसोस की हर दिन हमारे सामने निर्भया जैसे केस सामने आ रहे हैं। हमारे देश में हर 15 निमट में एक बलात्कार हो रहा है। बलात्कार के 1 लाख 27 हजार केस हमारी अदालतों में लंबित पड़े हैं। कठुआ, उन्नाव, शाहजहांपुर और हाल ही में हैदराबाद की वैटनरी डॉक्टर के साथ हुई निर्भया जैसी ही दरिंदगी नैतिक रूप से खत्म होते जा रहे हमारे की एक तस्वीर पेश कर रही है। आज पूरी दुनिया में भारत को रेप कंट्री के रूप में प्रसिद्धि मिल रही है। महिलाओं के लिए  भारत दुनिया का सबसे बड़ा असुरक्षित देश है। पाकिस्तान भी सातवें नम्बर पर आता है। शर्म आती है कि हम ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां चारों ओर ऐसी मानसिकता वाले दरिंदे घुम रहे हैं, जिन्हें न तो सज़ा का डर है और न ही समाज का।
2012 में हुई दिल्ली की निर्भया कांड की घटना पूरे देश को हिलाने वाली घटना थी। दिल्ली की तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा को इसका श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने इस केस में इतनी तेजी दिखाई कि 72 घंटों के अंदर सभी आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया। जब तक यह केस नहीं सुलझा डीसीपी घर नहीं गई। निर्भया की मां आशा देवी पिछले 7 वर्षों से पुलिस, कचहरी के चक्कर काट रही है मगर कोर्ट द्वारा दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाए जाने के बाद भी अभी तक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं दी गई। जब तक उन्हें फंासी नहीं मिल जाती तब तक निर्भया को न्याय नहीं मिल पाएगा। निर्भया कांड के बाद लग रहा था कि ऐसी घटना दोबारा न हो, मगर पिछले दिनों हैदराबार की वैटनरी डॉक्टर के साथ घटी घटना एक बार फिर हमारे समाज पर कालिख पोत गई।
देश में लगातार बढ़ रहे बलात्कार, गैंगरेप, महिलाओं के साथ दरिंदगी की घटनाओं के पीछे आखिर क्या कारण है? एक हद तक कह सकते हैं कि पुलिस, अदालतों, सजा का आपराधिक लोगों को खौफ कम है? कुछ लोग कहते हैं कि बढ़ती पोर्नोग्राफी, पश्चिमी सभ्यता इसके लिए जिम्मेवार है, लड़कियों का छोटे कपड़े पहनना इसके पीछे कारण है? कुछ हद तक ये कारण सही हो सकते हैं, मगर 5 से 7 साल की छोटी-छोटी बच्चियों के साथ भी बलात्कार। सोच के भी मन सिहर उठता है। 7 साल की बच्ची के साथ आखिर क्या सोचकर?  इस तरह की बढ़ती जा रही घटनाओं के बारे में देश, समाज और समाज के संतों को तेजी से गहन मनन करना होगा कि समाज में ऐसा क्यों हो रहा है? पूरे देश में इस पर सेमिनार करवाए जाने की जरूरत है और कठोर कानून के साथ-साथ सामाजिक जागृति चलाने की जरूरत है। नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक इस देश में एक बच्ची को भी हम भेडिय़ों से नहीं बचा पाएंगे। 

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