देश को ले डूबेगी यह कट्टरवादी विचारधारा


बहुमत के नशे में चूर होकर भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस अपनी कट्टर विचारधारा को देश पर थोपने में लगे हुए हैं और धीरे-धीरे ऐसे कानूनों को अमलीजामा पहनाने में लगे हैं, जिससे भारत की छवि दुनिया के सामने ठीक वैसी ही बनती जा रही है जिस प्रकार से कट्टरपंथी पाकिस्तान की। समान नागरिकता विधेयक देश के लिए जरूरी है का जो ढोल भाजपा पीट रही है असल में उसके पीछे आरएसएस की अपनी सोच ही है, जिसमें इस विधेयक में भाजपा ने अपनी सहुलिय अनुसार बदलाव करके भारत को कट्टर हिंदुत्ववादी विचारधारा में झोंकने के प्रावधान हैं। विपक्ष के जायज विरोध के बावजूद भाजपा ने लोकसभा में यह बिल पास करवा लिया और अब राज्यसभा में भी हर हथकंडे अपनाकर यह बिल पास करवाने का पूरा प्रयास करेगी, मगर इस विधेयक के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे, जिसके परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे। बेशक देश में रह रहे अन्य देशों के नागरिकों को स्थायी नागरिक बनाने के लिए यह विधेयक जरूरी थी, मगर सिर्फ गैर मुस्लिम समुदाय के लिए ही इस बिल में प्रावधान करके भाजपा ने फिर से साबित कर दिया कि वह भारत को समान विचारधारा, सभी धर्मों की समानता वाले देश की बजाय एक विचारधारा और एक ही धर्म वाले देश के रूप में तब्दील करना चाहती है। देश के बुद्धजीवियों का यह तर्क हर स्तर पर सही है कि हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग ने भारत व पाकिस्तान में धर्मांधता फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और मोहम्मद अली जिन्ना के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्र घोषित करना आज उसी पर भारी पड़ रहा है, क्योंकि पूरी दुनिया में पाकिस्तान ऐसा पहला देश है जो घोषित मुस्लिम राष्ट्र है। इसके दुष्परिणाम भी उसे भुगतने पड़े और आजादी के बाद पाकिस्तान विकास की पटरी पर चलने की बजाय धार्मिक कट्टरता के रास्ते पर चल पड़ा जो उसे महंगा। दूसरी भारत ने सर्वधर्म समानता के विचार पर चला और सभी धर्मों के लोगों के लिए समान संविधान बनाया। इसी का परिणाम है कि आज भारत विश्व शक्ति के रूप में उभर पाया, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने आरएसएस की खतरनाक सोच को अमलीजामा पहनाने की दिशा में कदम उठाए हैं और भारत जो पूरी दुनिया में सबसे शांतिप्रिय देश के रूप में माना जाता है, उसे आज कुछ लोग कट्रता की आग में धकेलने की साजिशें रच रहे हैं। यह हमारे देश के भविष्य और आने वाली पीढिय़ों के लिए घातक ही सिद्ध होगा, क्योंकि इस देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं और संविधान में सभी के लिए बराबर के अधिकार हैं। आरएसएस भारत के संविधान के इतर अपनी ही व्यवस्था खड़ा करना चाहती है और अगर भाजपा को भी लग रहा है कि उसे जो चुनावी सफलता मिल रही है उसमें उसकी विचारधारा का ही हाथ है, लेकिन इसके आने वाले समय में कितने गंभीर परिणाम सामने आएंगे इसका अंदाजा न तो भाजपा को है और न ही आरएसएस को। कांगे्रस सहित तमाम विपक्षी दलों को एकजुट होकर देश को बांटने वाले इस विधेयक का विरोध करने की जरूरत है और बिकाऊ मीडिया से प्रभावित हो रहे देशवासियों को भी यह समझने की जरूरत है कि भारत तभी विश्व शक्ति बन सका है जब उसमें सभी धर्मों के लोगों को संविधान में समान अधिकार मिले हैं। इस व्यवस्था को तहस-नहस करने की भाजपा व आरएसएस की सोच भारत की एकता व अखंडता को ले डूबेगी।

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