हवाएं हाल-बेहाल

हवाएं हाल-बेहाल
पानी के बाद अब ऑक्सीजन भी खरीदनी पड़ेगी 

पूरे देश में पर्यावरण प्रदूषण को लेकर हो-हल्ला मच रहा है। देश की राजधानी नई दिल्ली में हवा में सांस लेना भी दुश्वार हो गया है। हर बार की तरह चारों ओर किसानों को इस जहरीली हवा के लिए दोषी ठहराया जा रहा है कि पंजाब एवं हरियाणा के किसान पराली जलाते हैं, जिसका जहरीला धुआं हवा में घुलकर दिल्ली पहुंच रहा है। एक नजर से देखा जाए जाए इन दावों में दम भी नजर आता है, क्योंकि सरकारों द्वारा बार-बार चेतावनी देने के बावजूद भी बड़ी संख्या में किसान पराली जला रहे हैं, लेकिन दिल्ली, एनसीआर में जो स्मॉग है, वह सिर्फ पराली का ही नहीं है, बल्कि इसकी तह में अगर जाया जाए तो आपको साफ पता चल जाएगा कि इसके कई कारण हैं, जिसमें प्रमुख रूप से वाहनों का प्रदूषण भी है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने ऑड इवन फार्मूला तो लागू किया, मगर उसका कोई बहुत ज्यादा फायदा नजर नहीं आया, क्योंकि सुप्रीर्म कोर्ट ने सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा भी है कि चीन और अन्य देशों से सरकारें क्यों नहीं सीख रही और ऑड इवन में छूट क्यों दी जा रही है। सरकारें, पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक को बचाने के लिए भले इसी पर्यावरण प्रर्यावरण प्रदूषण पर राजनीतिक रोटियां सेंकती नजर आ रही हो, लेकिन दूसरी तरफ ऐसी सूचनाएं भी मिल रही हैं कि दिल्ली में अब ऑक्सीजन बार भी खुल रहे हैं। जहां 10-15 मिनट साफ हवा के लिए अच्छी-खासी रकम वसूली जा रही है। भई अमीरों के लिए तो यह भी सही है, वो कम से कम अब स्वच्छ हवा तो खरीद ही सकते हैं, लेकिन समाज का वह वर्ग कहां जाए जो आज भी न तो बिसलेरी खरीदना तो दूर दो वक्त की रोटी भी जुटा नहीं पा रहा। पानी के बाद अब लोगों को ऑक्सीजन भी खरीदनी पड़ेगी। यही दिन देखने बाकी रह गए थे।


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