एक रात मुझे वो मिली...
था मैं परेशान, क्योंकि काम करते-करते थकान हुई,
निकला था मैं दफ्तर से रास्ते में उससे मुलाकात हुई,
मन नहीं था मेरा, बस ऐसे ही जान-पहचान हुई,
महफिल में थे सब उसके दिवाने, मुझे भी भा गई,
रूप नहीं था खास, उसकी कड़वाहट पसंद आ गई,
बदन में लगी तरंगे दौडऩे और मस्ती मुझे छा गई,
गलत हूं मैं, पर एक बार दिक्कतें वो मिटा गई,
दुनिया कहती गलत उसे, पर हर दिवाने की खास हुई,
निकला था मैं दफ्तर से, जब उससे मुलाकात हुई।।
-मोहित
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