‘‘22 जनवरी का दिन बनेगा खास, खत्म हुआ कलियुग का वनवास’’

नई दिल्ली : पिछले 500 वर्षों में अथक संघर्ष, अनेक राजनीतिक, सामाजिक आंदोलनों को झेलने वाली अयोध्या के लिए 22 जनवरी का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है जब नवनिर्मित भव्य मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। समूचे देश और यहां तक की विदेशों में भी हिंदू समाज इस दिन को ऐतिहासिक और भव्य बनाने के लिए जुट गया है और जगह-जगह मंदिरों को सजाया गया है तथा दिपावली पर्व की तरह मनाने की पूरी तैयारियां हर जगह हो गई है। राम का नाम असल में हर भारतीय के अंतर्मन में बसा है और भारतीय जनता पार्टी इस दिन को भुनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही। 

भारतीय जनता पार्टी की जब स्थापना हुई थी तो पार्टी ने कुछ लक्ष्य तय किए किए थे, जिसमें अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी शामिल था। पिछले 40 सालों की भाजपा की राजनीति पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो धारा 370 और अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना दो ऐसे मुद्दे रहे हैं, जो हर बार पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल रहे हैं। जबकि पार्टी का दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा राम मंदिर की स्थापना पूरा होने जा रहा है तो 2024 लोकसभा चुनाव की पूर्व संध्या से पहले भाजपा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को भव्य और पूरे देश के लिए किसी त्यौहार के रूप में साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही। हमेशा की तरह भ्रम और दो मन की शिकार कांग्रेस इस मामले में न तो देशवासियों की नब्ज़ ही पकड़ पाई और न ही अयोध्या न जाने का अपना ठोस कारण लोगों को बता पाने में सफल हो पाई। भाजपा को मौका मिल गया और कांग्रेस एक बार फिर से बैकफुट पर नजर आ रही है। जिस कांग्रेस ने 1989 में राम लला के द्वार खुलवाए थे, वो कांग्रेस आज यह समझ ही नहीं पाई या समझना नहीं चाहती कि भारतीय मन हर स्थिति में ‘‘राम’’ को साक्षी बनाने का आदि है। दु:ख में..हे राम, पीड़ा में..अरे राम, लज्जा में..हाय राम, अशुभ में..हरे राम राम, अभिवादन में..राम राम, शपथ में..राम दुहाई, अज्ञानता में..राम जाने, अनिश्तिता में..राम भरोसे, अचूकता के लिए..रामबाण, सुशासन के लिए..रामराज्य।।


-मोहित

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