रात कैसे निकली मेरी...
मैं क्या बताउं, किसे बताउं की नींद आती नहीं,
करवटें बदलता रहता हूं, लेकिन चैन आता नहीं,
चाहता हूं भूलना बहुत कुछ, पर भूल पाता नहीं,
किसकी तलाश में है ये दिल, मुझे पूरा पता नहीं,
सोचता हूं पैग लगा लूं, पर अकेला मैं पीता नहीं,
रात ऐसे निकली मेरी, दिन बिता कैसे पता नहीं।
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