निकलता हूँ घर से...




निकलता हूँ घर से कमाने, 

पहुंच जाता हूँ, मैं मयखाने,


कितना कमाउं ‘ए-जमाने’

उतना ही, जा पाउं मयखाने,


दर्द मिटाने और उसे जतानेे,

आना पड़ता है, मुझे मयखाने,


जाता हूँ अब, जिम्मेवारी निभाने,

लोग न कह दें, की हो गए दिवाने।


पढ़ लो इतिहास के अफसाने,

ऐसे नहीं मिलेंगे और दिवाने।

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