अब और नहीं कहूंगा..



इतना बड़ा समुन्द्र मुझे डूबो ना सका,

ये दो बूंद क्या मुझे खाक डुबोएगी,


दो घूंट अभी मैं और पी सकता हूँ, 

मेरे पैर और जुबां लडख़ड़ाए नहीं, 


जिंदगी के गम हम सहने को तैयार हैं,

बस तेरी ही हां में हां का इतंजार है,


अब और नहीं कहूंगा, समझा नहीं सकूंगा,

थक गया हूं मैं अब और नहीं कहूंगा।।


-मोहित 

Comments

Popular posts from this blog

..राख में मिलेंगी बर्बाद-ए-इश्क की निशानियां

वैलेंनटाइन डे और मैं...