मतदान से ठीक पहले मंदिर निर्माण की घोषणा वोटों के ध्रुवीकरण का अंतिम प्रयास
-मोहित भारद्वाज-
सीएए और एनआरसी के विरोध में दिल्ली के शाहिन बाग में चल रहा धरना ऐतिहासिक रूप लेता जा रहा है और इस धरने में बड़ी संख्या में हिंदू धर्म के लोग भी धरनारत लोगों के समर्थन में उतर आए हैं कि उन्हें इस धर्म में धर्म के नाम पर बांटने वाला कानून नहीं चाहिए। जो कानून देश के संविधान की मूल भावना के विरूद्ध हो वह उन्हें स्वीकार नहीं है। इसके उलट भाजपा के तमाम नेता दिल्ली चुनावों में अपने भाषणों में सरेआम कह रहे हैं कि सीएए से उनकी सरकार पीछे नहीं हटेगी और विरोध करने वाले लोग देश के माहौल को बिगाडऩा चाहते हैं। दिल्ली चुनाव में मतदान से ठीक तीन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी स्वयं संसद में लंबा चौड़ा भाषण देकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का ऐलान कर रहे हैं। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के फैसले के 88 दिन बाद केन्द्र सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का फैसला लिया 6.7 एकड़ भूमि ट्रस्ट को सौंप दी। प्रधानमंत्री जी ने आज अपने संबोधन में 14 बार श्रीराम, 1 बहार हिंद तथा 4 चार बार भारत शब्द का इस्तेमाल किया। ऐसे में जब मीडिया से जुड़े अनेक साथी, आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के लोग यह आरोप सरकार पर लगा रहे हैं कि वह सीएए, एनआरसी के नाम पर देश में हिंदू-मुस्लिम की बहस को जान-बुझकर जन्म देती है, ताकि वोटों का धु्रवीकरण हो और उसका फायदा भाजपा को सके। ऐसे में दिल्ली चुनाव से ठीक पहले भाजपा द्वारा मंदिर निर्माण का ऐलान करना और प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं संसद में इसकी घोषणा करना कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि भाजपा अपने एजेंडे पर चलकर कट्टर हिंदुत्व की अपनी छवि को मजबूत करके दिल्ली में अपनी चुनावी वैतरणी को पार लगाना चाहती है, मगर जिस प्रकार से दिल्ली चुनाव की रिपोर्ट मिल रही और सर्वे सामने आ रहे हैं, उससे साफ हो रहा है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी 'आप' सत्ता में लौट रही है। असल में जिस प्रकार से पूरे देश भर में सीएए, एनआरसी का विरोध सामने आया है, उसका अंदाजा न तो गृहमंत्री अमित शाह को था और न ही प्रधानमंत्री को। उन्हें लग रहा था कि जिस प्रकार से धारा 370, राम मंदिर, तीन तलाक के फैसले को सभी ने सराहा था, उसी प्रकार से इस कानून का भी लोग स्वागत करेंगे, खासकर हिंदू वर्ग, लेकिन जिस प्रकार से इस कानून का रियक्शन पूरे देश भर से आया है, उससे कहीं न कहीं भाजपा उलझकर रह गई है, क्योंकि इस कानून का विरोध सिर्फ मुसलमान ही नहीं कर रहे, बल्कि बड़ी संख्या में हिंदू भी धर्म के नाम पर बांटने वाले इस कानून का कड़ा विरोध कर रहे हैं और हिंदुओं का विरोध ही भाजपा को अखर रहा है और यही कारण है कि एक बार फिर से केन्द्र सरकार सफाई देने पर मजबूर हुई है कि एनआरसी को लागू करने का अभी कोई प्रावधान नहीं है। दिल्ली मतदान से ठीक पहले मोदी जी द्वारा राम मंदिर के निर्माण की घोषणा करना भाजपा की आखिरी कोशिश है वोटों के धु्रवीकरण की, मगर लगता नहीं कि भाजपा इस बार कामयाब हो पाएगी।
सीएए और एनआरसी के विरोध में दिल्ली के शाहिन बाग में चल रहा धरना ऐतिहासिक रूप लेता जा रहा है और इस धरने में बड़ी संख्या में हिंदू धर्म के लोग भी धरनारत लोगों के समर्थन में उतर आए हैं कि उन्हें इस धर्म में धर्म के नाम पर बांटने वाला कानून नहीं चाहिए। जो कानून देश के संविधान की मूल भावना के विरूद्ध हो वह उन्हें स्वीकार नहीं है। इसके उलट भाजपा के तमाम नेता दिल्ली चुनावों में अपने भाषणों में सरेआम कह रहे हैं कि सीएए से उनकी सरकार पीछे नहीं हटेगी और विरोध करने वाले लोग देश के माहौल को बिगाडऩा चाहते हैं। दिल्ली चुनाव में मतदान से ठीक तीन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी स्वयं संसद में लंबा चौड़ा भाषण देकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का ऐलान कर रहे हैं। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के फैसले के 88 दिन बाद केन्द्र सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का फैसला लिया 6.7 एकड़ भूमि ट्रस्ट को सौंप दी। प्रधानमंत्री जी ने आज अपने संबोधन में 14 बार श्रीराम, 1 बहार हिंद तथा 4 चार बार भारत शब्द का इस्तेमाल किया। ऐसे में जब मीडिया से जुड़े अनेक साथी, आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के लोग यह आरोप सरकार पर लगा रहे हैं कि वह सीएए, एनआरसी के नाम पर देश में हिंदू-मुस्लिम की बहस को जान-बुझकर जन्म देती है, ताकि वोटों का धु्रवीकरण हो और उसका फायदा भाजपा को सके। ऐसे में दिल्ली चुनाव से ठीक पहले भाजपा द्वारा मंदिर निर्माण का ऐलान करना और प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं संसद में इसकी घोषणा करना कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि भाजपा अपने एजेंडे पर चलकर कट्टर हिंदुत्व की अपनी छवि को मजबूत करके दिल्ली में अपनी चुनावी वैतरणी को पार लगाना चाहती है, मगर जिस प्रकार से दिल्ली चुनाव की रिपोर्ट मिल रही और सर्वे सामने आ रहे हैं, उससे साफ हो रहा है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी 'आप' सत्ता में लौट रही है। असल में जिस प्रकार से पूरे देश भर में सीएए, एनआरसी का विरोध सामने आया है, उसका अंदाजा न तो गृहमंत्री अमित शाह को था और न ही प्रधानमंत्री को। उन्हें लग रहा था कि जिस प्रकार से धारा 370, राम मंदिर, तीन तलाक के फैसले को सभी ने सराहा था, उसी प्रकार से इस कानून का भी लोग स्वागत करेंगे, खासकर हिंदू वर्ग, लेकिन जिस प्रकार से इस कानून का रियक्शन पूरे देश भर से आया है, उससे कहीं न कहीं भाजपा उलझकर रह गई है, क्योंकि इस कानून का विरोध सिर्फ मुसलमान ही नहीं कर रहे, बल्कि बड़ी संख्या में हिंदू भी धर्म के नाम पर बांटने वाले इस कानून का कड़ा विरोध कर रहे हैं और हिंदुओं का विरोध ही भाजपा को अखर रहा है और यही कारण है कि एक बार फिर से केन्द्र सरकार सफाई देने पर मजबूर हुई है कि एनआरसी को लागू करने का अभी कोई प्रावधान नहीं है। दिल्ली मतदान से ठीक पहले मोदी जी द्वारा राम मंदिर के निर्माण की घोषणा करना भाजपा की आखिरी कोशिश है वोटों के धु्रवीकरण की, मगर लगता नहीं कि भाजपा इस बार कामयाब हो पाएगी।
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